Wednesday, May 5, 2010

Bachpan ki masumiyat (Part 2)

बचपन में जब तक हम अपने पुराने घर में रहे, मुझे बहुत ही विचित्र स्वप्ना आते थे| अगर मैं कोई अच्छा काम करता तो भगवन गणेश सपने में आकर  मुझे ice -cream  (मेरी पसंदीदा) दे जाते थे या फिर माता अम्बा प्रसाद देकर जाती थी| (बहुत अजीब लगता है न ये सब)| लेकिन अगर कोई बुरा काम करता तो bat मार कर जाते थे| कई बार नागों के सपने आते थे| अर्थ ये निकलता है कि कोई-न-कोई अद्भुत शक्ति मेरे स्वप्न में ज़रूर आती थी| और जब हम नए घर में आये और मुझे "१०४ डिग्री" बुखार हो गया तो १ हफ्ते तक मैं यही कहता रहा कि मुझे १ बार पुराने घर में ले चलो| आख़िरकार माँ-पापा मान ही गए| और वहाँ जाते ही मैं ठीक हो गया| कभी-कभी तो ये सब सोचकर ऐसा लगता है कि वहाँ पर सच में कोई शक्ति निवास करती है|

छोटे बच्चे बहुत मासूम होते हैं, सच में| माँ ने मुझे बताया कि जब मेरी दीदी हाई स्कूल में प्री-बोर्ड की परीक्षाएं अच्छे अंकों से पास कर चुकी थी तो वो बोर्ड के लिए एकदम निश्चिंत हो गयी थी और कुछ ख़ास तैयारी बोर्ड की नहीं की| जब परीक्षाफल घोषित हुआ तो दीदी ने पाया कि उसके अंक पहले से २० प्रतिशत कम थे| वो घर आकर रोने लगी कि पापा और खासकर मम्मी जो उसे पढने के लिए कहती रहीं, उसे बहुत डांटेंगे| मैं उस समय बहुत छोटा था और मेरी दीदी 8 साल बड़ी थी मुझसे| फिर भी मैंने उसे कुछ समझाया और वो (शायद) चुप हो गयी| मैंने माँ-पापा से कहा कि उन्हें न डांटे| उन्होंने एक छोटे-से बच्चे कि बात सुनी, उसे समझाया कि उसकी दीदी को डांटना उसके भविष्य के लिए क्यों ज़रूरी है और फिर दीदी को भी थोड़ी-सी डांट और थोड़े-से प्यार से समझा दिया|

ऐसी बहुत-सी "अद्वितीय" घटनाएं हैं जो मेरे साथ हुई हैं लेकिन "मानस-पटल" पर इतनी ही मौजूद हैं|

No comments:

Post a Comment