जीवन को कई सवालों ने है घेरा,
हर सवाल लाता मन में एक नया सवेरा,
लेकिन एक प्रश्न में अभी तक क्यों मैं अटकता हूँ,
आख़िर.. मैं क्यों पढता हूँ?
हर युग की अपनी एक कही कहानी है,
योद्धाओं ने तब प्रण लिए थे, नेताओं ने आज ठानी है.
बूँद बूँद कथाओं से इतिहास बनता है,
लेकिन पढ़ाई से इसका क्या रिश्ता है?
थक गए हमारे हाथ निबंध लिखते लिखते,
ऊब गया है अब तो मन geometry करते करते.
distribution रटने से मुझे क्या मिलेगा?
क्या भूगोल और इतिहास ही मेरा भविष्य तय करेगा?
इन प्रश्नों का शायद एक ही है जवाब,
नहीं, पढने से बच्चा नहीं बनता नवाब.
लेकिन पढने से ही तो मुझमें अक्ल आई है,
जो आज मन की भावना स्याही से पन्ने पर उतर आई है.
परीक्षाएं देकर ही तो मैंने लड़ना सीखा,
क्या कोई और उपाय है इम्तिहान सरीखा,
जो सिखाता मुझे जीवन की सच्चाई क्या है,
आज यही सच्चाई इतिहास के रूप में मेरे दिल में बयां है.
लेकिन अब भी बच्चों के मन हैं उलझे हुए,
कौन समझाएगा उन्हें, देगा उन्हें जवाब सुलझे हुए?
शायद इश्वर भी यही चाहता है,
बच्चा बड़ा होने पर सब समझ जाता है,
जैसे आज मैं खुशी खुशी ये कविता लिखता हूँ,
मैं यह नहीं पूछता कि मैं क्यों पढता हूँ?
जी आपकी रचना पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.. ..आप ने बहुत ही गहरी और महत्वपूर्ण बात की है...इस बात को ही समझ लिया जाए तो समाज के नवनिर्माण का स्वप्न बहुत ही आसानी और प्रेम से पूरा होगा...
ReplyDeleteब्लॉग की सरस दुनिया में आपका स्वागत....देखना इस दुनिया का अनुभव आपको बहुत स्कून देगा.
शिक्षा जागृति लाती है, किंतु इसकी व्यवस्था ऐसी हो जिससे सभी को एक समान शिक्षा पाने के अवसर उपलब्ध हों.
ReplyDeletehttp://bhaarat-bhavishya-chintan.blogspot.com
आपकी पंक्तिया आपके अनुभव की बानगी है.
ReplyDeleteवर्तमान शिक्षा व्यवस्था सबके लिए सरस हो सुगम हो, कुछ इस दिशा में उपाय की आवश्यकता है.
ब्लॉगजगत में स्वागत है आपका. धन्यवाद!
- सुलभ
परीक्षाएं देकर ही तो मैंने लड़ना सीखा,
ReplyDeleteक्या कोई और उपाय है इम्तिहान सरीखा,
जो सिखाता मुझे जीवन की सच्चाई क्या है,
आज यही सच्चाई इतिहास के रूप में मेरे दिल में बयां है.
नई सोच और बहुत सटीक - बहुत खूब
मेरी कविता को प्रोत्साहन देने के लिए आप सभी लोगों का धन्यवाद|
ReplyDeleteI'll surely read ur blogs also. Thank u again